Chitrakoot Tourist Places: चित्रकूट उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह न केवल हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है, बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व भी इसे एक अद्भुत पर्यटन स्थल बनाते हैं। यह वह भूमि है जहाँ भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान लगभग 11 वर्ष 6 महीने समय बिताया था। यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं, जो आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक आनंद का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं।

कामदगिरि पर्वत (Kamadgiri Parvat)
कामदगिरि पर्वत चित्रकूट का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यह पर्वत चित्रकूट जिले में स्थित है और हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ा हुआ स्थान माना जाता है। कामदगिरि पर्वत को हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है। यह पर्वत भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान उनके द्वारा नियमित रूप से पूजित स्थल था। इसे ‘कामधेनु पर्वत’ भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि यह पर्वत यहां आने वाले भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करता है।
चित्रकूट में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ यहां निवास करते थे। कामदगिरि पर्वत की तलहटी में स्थित मंदीरों और धार्मिक स्थानों से यह स्थल जुड़ा हुआ है। यहां की धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस पर्वत की परिक्रमा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया मानी जाती है। यह परिक्रमा लगभग 5 किलोमीटर लंबी होती है और भक्त इसे करके अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति पाने की कामना करते हैं। इस परिक्रमा मार्ग में कई महत्वपूर्ण मंदिर स्थित हैं, जिनमें विशेष रूप से श्रीराम मंदिर का महत्व है।

रामघाट (Ramghat)
मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित रामघाट चित्रकूट का सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी यहाँ स्नान करते थे। इस घाट की सबसे खास बात शाम की गंगा आरती है, जो बेहद मनमोहक होती है। श्रद्धालु यहाँ नौका विहार का आनंद भी ले सकते हैं। यहाँ पर भक्त भगवान राम की पूजा करते हैं और उनकी उपासना करते हैं। विशेष रूप से राम नवमी और माघ माह जैसे धार्मिक अवसरों पर यहाँ भारी संख्या में भक्त आते हैं।

गुप्त गोदावरी (Gupt Godavari)
यह स्थल विशेष रूप से भगवान राम और उनके वनवास से जुड़ा हुआ है। गुप्त गोदावरी में नदी, गुफाएं और मंदिर हैं, जो इसे एक अद्भुत तीर्थ स्थल बनाते हैं। गुप्त गोदावरी में दो प्रमुख गुफाएँ हैं, जिन्हें श्रद्धालु पूजा और ध्यान के लिए आते हैं। इन गुफाओं में भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। गुफाओं के पास से बहने वाली गोदावरी नदी बहुत पवित्र मानी जाती है। यहाँ स्नान करने से भक्तों को धार्मिक लाभ मिलता है।
गुप्त गोदावरी के क्षेत्र में दो प्रमुख गुफाएँ हैं, जिन्हें लोग विशेष रूप से देखने आते हैं:
- मुख्य गुफा: यह गुफा गोदावरी नदी के पास स्थित है और माना जाता है कि भगवान राम और उनके अनुयायी यहाँ पूजा करते थे।
- अर्क गुफा: यह गुफा भी बहुत प्रसिद्ध है और यहां पर भगवान शिव की पूजा होती है। यहाँ की गुफाओं में प्राचीन शिलालेख भी पाए गए हैं, जो इस स्थान की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर को दर्शाते हैं।

हनुमान धारा (Hanuman Dhara)
यह एक पहाड़ी पर स्थित हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है। जो भगवान हनुमान से जुड़ा हुआ है। हनुमान धारा का नाम भगवान हनुमान के नाम पर पड़ा है, और यहाँ एक प्रसिद्ध मंदिर और जलप्रपात (वाटरफॉल) है। हनुमान धारा चित्रकूट में एक अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है, जहाँ लाखों भक्त अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए आते हैं। यहाँ एक झरना लगातार प्रवाहित होता रहता है, जिसे लेकर मान्यता है कि लंका दहन के बाद हनुमान जी की जलती हुई पूंछ को ठंडक देने के लिए यह जलधारा उत्पन्न हुई थी। इस स्थान पर जाने के लिए पहाड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है, लेकिन ऊपर से दिखने वाला दृश्य अत्यंत सुंदर होता है।

सती अनुसुइया आश्रम (Sati Anusuiya Dham Aashram)
यह आश्रम ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी माता अनुसुइया की तपस्थली है। यह स्थान हरे-भरे जंगलों और प्राकृतिक झरनों से घिरा हुआ है। मान्यता है कि माता अनुसुइया की तपस्या के कारण यहाँ त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) बालरूप में प्रकट हुए थे।
सती अनुसुइया का नाम हिंदू धर्म की महान तपस्विनियों में लिया जाता है। वह भगवान त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु और महेश—की भक्त थीं। उन्होंने चित्रकूट के जंगलों में कठोर तपस्या की थी और भगवान के प्रति अपनी अडिग भक्ति और समर्पण को सिद्ध किया था। उनकी तपस्या और भक्ति की गाथाएँ पुराणों में वर्णित हैं।
सती अनुसुइया का मंदिर: इस आश्रम में एक मंदिर स्थित है, जिसमें सती अनुसुइया की मूर्ति स्थापित है। मंदिर में पूजा, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।
अनुसुइया कुंड: आश्रम में एक पवित्र जल कुंड स्थित है, जिसे “अनुसुइया कुंड” कहा जाता है। इसे खासतौर पर धार्मिक दृष्टि से महत्व दिया जाता है, और यहां भक्त स्नान करने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि यह कुंड सती अनुसुइया के तप और साधना का प्रमाण है।
जानकी कुंड (Janki Kund)
जानकी कुंड का नाम माता सीता के नाम पर पड़ा है। मान्यता है कि जब भगवान राम और माता सीता अपने वनवास के दौरान चित्रकूट में ठहरे थे, तो इस कुंड में माता सीता ने स्नान किया था। इस स्थल को “जानकी” (माता सीता) के नाम पर जाना जाता है। इस कारण, यह स्थान विशेष रूप से भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, जो माता सीता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
जानकी कुंड एक पवित्र जल स्रोत है, जिसे यहां आने वाले भक्त पुण्य प्राप्ति और पापों से मुक्ति के लिए पवित्र माना जाता है। यह कुंड भगवान राम और माता सीता से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना का प्रतीक है।
जानकी कुंड का संबंध रामायण से है, जिसमें भगवान राम और माता सीता के वनवास के दौरान चित्रकूट में आए थे। यहाँ पर माता सीता ने स्नान किया और भगवान राम ने इस स्थल पर पूजा-अर्चना की। यह स्थल रामायण के उस समय की घटनाओं को जीवित रखता है, और यही कारण है कि यह जगह विशेष धार्मिक महत्व रखती है।

स्फटिक शिला (Sphatik Shila)
स्फटिक शिला का संबंध भगवान राम से है। यह शिला भगवान राम के वनवास के दौरान चित्रकूट में उनके ठहरने के समय से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भगवान राम ने इस शिला की पूजा की थी और इसे विशेष रूप से पवित्र माना था। इस स्थान पर आकर श्रद्धालु भगवान राम की पूजा करते हैं और यहां के धार्मिक महत्व का अनुभव करते हैं।
इस शिला के पास एक मंदिर स्थित है, जहाँ श्रद्धालु पूजा करते हैं। यहां आने वाले भक्त भगवान राम से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शिला की पूजा करते हैं। इस शिला की पूजा को विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है, और यह भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि लाने का माध्यम मानी जाती है।

चित्रकूट जलप्रपात (Chitrakoot Waterfall)
चित्रकूट जलप्रपात एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। यह जलप्रपात चित्रकूट के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित है, अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो यह स्थान आपके लिए स्वर्ग के समान है। मानसून के मौसम में यह जलप्रपात अत्यंत सुंदर दिखता है। यहाँ की हरियाली और ठंडी फुहारें सैलानियों को आकर्षित करती हैं।
चित्रकूट जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 30 मीटर (100 फीट) है और यहाँ से गिरने वाली पानी की धारा बहुत ही रोमांचक और आकर्षक होती है। यह जलप्रपात गर्मी के दिनों में विशेष रूप से पर्यटकों के लिए एक ठंडक देने वाला स्थान बन जाता है।

गणेश बाग (Ganesh Bagh)
यह चित्रकूट का एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसे पेशवा काल में बनवाया गया था। यहाँ एक प्राचीन शिव मंदिर, बावड़ी और महल के खंडहर मौजूद हैं, जो इस स्थान को ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं।
चित्रकूट केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहर और आध्यात्मिक शांति का अद्भुत संगम है। यहाँ घूमने के लिए कई बेहतरीन स्थान हैं, जो आपकी यात्रा को यादगार बना देंगे।
अगर आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं, तो कामदगिरि पर्वत, रामघाट और हनुमान धारा आपके लिए उत्तम स्थान हैं। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो चित्रकूट जलप्रपात और गुप्त गोदावरी जैसे स्थान आपके लिए सही रहेगा हैं। इसके अलावा, इतिहास प्रेमियों के लिए गणेश बाग और भरत कूप जैसे स्थानों का विशेष महत्व है।