कैसे बनते हैं होली (Holi) के कलर, केमिकल रंग कितने हैं नुकसानदायक, कैसे बचें!

होली (Holi) का त्योहार रंगों और खुशियों का पर्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंगों से सराबोर करते हैं और उल्लास के साथ पर्व मनाते हैं। वैसे तो फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को हर साल होलिका दहन मनाया जाता है। अगर हम इस साल की बात करें तो 13 मार्च 2025 हो होलिका दहन है इस बार की होली 14 मार्च 2025 को होली धूमधाम से मनाई जायेगी।  लेकिन होली से पहले आपको किन बातों का विशेष ध्यान रखना है। केमिकल वाले रंगों से आपको कैसे बचना चाहिये। आज हम इस पर बातें करेंगें।

होली (Holi) के रंग कैसे बनते हैं?

होली के रंग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। प्राकृतिक रंग और रासायनिक रंग’’। पहले समय में केवल प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग किया जाता था, लेकिन आधुनिक समय में रासायनिक रंगों का प्रचलन बढ़ गया है। हालांकि, हानिकारक रसायनों के कारण लोग अब फिर से हर्बल और जैविक (ऑर्गेनिक) रंगों की ओर लौट रहे हैं। आइए जानते हैं कि ये रंग कैसे बनते हैं और इनमें कौन-कौन से पदार्थ उपयोग किए जाते हैं।

प्राकृतिक रंग कैसे बनते हैं? 

प्राकृतिक रंग पेड़-पौधों, फूलों, फलों और जड़ी-बूटियों से बनाए जाते हैं। ये रंग त्वचा और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होते हैं और पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचाते।

holi ke color kaise bante hai
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प्राकृतिक रंग बनाने के तरीकेः 
  1. लाल रंग– गुलाब की पंखुड़ियाँ जिन्हें सुखाकर पीस लिया जाता है। चुकंदरः इसका रस निकालकर सूखा लिया जाता है, जिससे गुलाबी और लाल रंग मिलता है। पलाश के फूलः– इन्हें पानी में भिगोकर लाल या केसरिया रंग तैयार किया जाता है।
  1. पीला रंगः– हल्दी और बेसन, हल्दी को बेसन या मैदा के साथ मिलाकर सूखा पीला रंग बनाया जाता है। गेंदे के फूलः– इन फूलों को पीसकर पानी में मिलाने से पीला रंग तैयार होता है।
  2. हरा रंगः– पालक और मेहंदी की पत्तियाँ – इनका पेस्ट बनाकर या सुखाकर हरा रंग बनाया जाता है। नीम की पत्तियाँ– इन्हें सुखाकर पाउडर बनाया जाता है, जो हरे रंग का होता है।
  3. नीला रंगः– अपराजिता फूल- इन फूलों को सुखाकर नीला रंग बनाया जाता है। जामुन- इसका रस निकालकर नीला रंग तैयार किया जाता है।
  4. काला रंग भृंगराज और आंवला – इन्हें मिलाकर काले रंग का पेस्ट बनाया जाता है।

प्राकृतिक रंगों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये त्वचा और आँखों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते और आसानी से साफ हो जाते हैं। अब बात करते हैं रासायनिक यानि केमिकल वाले रगों की।

Chemical Color kaise bante hai
Chemical Color kaise bante hai

रासायनिक (Chemical Color) रंग कैसे बनते हैं

आधुनिक समय में होली के लिए बाजार में मिलने वाले ज्यादातर रंग रासायनिक होते हैं। इन्हें विभिन्न प्रकार के रसायनों और धातु आधारित पदार्थों से बनाया जाता है। ये रंग सस्ते और लंबे समय तक टिकने वाले होते हैं, लेकिन कई बार ये त्वचा और सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

रासायनिक रंगों (Chemical Color) में क्या मिलाया जाता है

  1. लाल रंग मरकरी सल्फाइड (Mercury Sulphide) से बनाया जाता है।
  2. हरा रंग – कॉपर सल्फेट (Copper Sulphate) से बनाया जाता है।
  3. नीला रंग – प्रूशियन ब्लू (Prussian Blue) से बनाया जाता है।
  4. 4. काला रंग – सीसा ऑक्साइड (Lead Oxide) से बनाया जाता है।

रासायनिक रंगों (Chemical Color) के क्या है नुकसान?

रासायनिक वाले होली रंगों के कई नुकसानों से बचना जरूरी है, क्योंकि ये हमारी सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण नुकसानों के बारे में निम्नलिखित जानकारी हैः

त्वचा की एलर्जीः केमिकल रंगों में ऐसे टॉक्सिक पदार्थ होते हैं, जो त्वचा को जलन और खुजली का कारण बन सकते हैं। इसके कारण रैशेज, लालिमा और अन्य एलर्जी हो सकती हैं। कुछ लोगों को गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं भी हो सकती हैं।

आंखों के लिए हानिकारकः अगर केमिकल रंग आंखों में चले जाएं तो इससे आंखों में जलन, कंजंक्टिवाइटिस (पिंक आई) और सूजन हो सकती है। इन रंगों के कारण आंखों में संक्रमण भी हो सकता है।

स्वास्थ्य समस्याएं:- केमिकल रंगों में कई हानिकारक रसायन जैसे सीसा, पारा और अन्य जहरीले रंग होते हैं, जो श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं। ये अस्थमा और श्वास की समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।

बालों को नुकसानः केमिकल रंगों का उपयोग बालों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह बालों की संरचना को कमजोर कर सकता है, जिससे बाल टूट सकते हैं, पतले हो सकते हैं या सफेद भी हो सकते हैं।

chemical wale rang se kaise bache
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केमिकल वाले (Chemical Color) रंगों से कैसे बचें?

हाथों और शरीर को सही से कवर करें- यदि आप केमिकल रंगों से बचने में सक्षम नहीं हैं, तो अपने शरीर और हाथों को पूरी तरह से कवर करें। लंबी बांह वाली शर्ट और पैंट पहनें ताकि रंग शरीर के संपर्क में न आए।

मास्क और गॉगल्स पहने- रंगों से आंखों और मुंह को बचाने के लिए मास्क और गॉगल्स पहनना एक अच्छा उपाय है। इससे आपकी आंखों में रंग जाने से बचाव होगा

सिर को ढकें- केमिकल रंगों से बालों को बचाने के लिए सिर पर कैप या स्कार्फ पहनें। अगर रंग बालों में चला जाता है, तो बालों का नुकसान हो सकता है और रंग निकालने में मुश्किल हो सकती है।

अपने चेहरे और हाथपैर में सरसो का तेल लगायेः होली खेलने से पहले अपने शरीर पर तेल लगाएं। यह रंगों को त्वचा पर चिपकने से रोकता है और बाद में रंगों को आसानी से धोने में मदद करता है।

आर्गेनिक रंग खरीदें- बाजार से रंग खरीदते समय हमेशा यह सुनिश्चित करें कि वह आर्गेनिक और सुरक्षित हो।

holi color kaise banaye
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होली (Holi) के रंग घर में कैसे बनायें?

हाँ! घर पर प्राकृतिक और सुरक्षित रंग बनाना बहुत आसान है। कुछ घरेलू उपाय है जिसके माध्यम से आप घर बैठे रंग बना सकते हैं। चलिये जानते हैं कैसे!

लाल रंगः सूखे गुलाब की पंखुड़ियाँ पीस लें या चुकंदर का पाउडर बनाकर इस्तेमाल करें।

पीला रंगः हल्दी और बेसन मिलाकर सूखा रंग तैयार करें।

हरा रंगः पालक और मेहंदी की पत्तियों को पीसकर हरा रंग बनाएं।

नीला रंगः अपराजिता फूलों को सुखाकर उनका पाउडर बना लें।

होली के रंग प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों तरह के होते हैं। प्राकृतिक रंग फूलों, फलों और पत्तियों से बनाए जाते हैं, जो त्वचा और पर्यावरण के लिए सुरक्षित होते हैं। दूसरी ओर, रासायनिक रंग सस्ते और आसानी से उपलब्ध होते हैं, लेकिन इनमें मौजूद हानिकारक रसायन सेहत को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिए, यदि संभव हो तो प्राकृतिक और हर्बल रंगों का ही उपयोग करें ताकि होली का यह त्योहार सुरक्षित और आनंदमय बन सके।

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