एक ऐसा बन्दर जिसकी वजह से आज वैज्ञानिक अंतरिक्ष की सभी जानकारी जुटा पा रहे हैं और मानव मिशन को कामयाब बना पा रहे हैं।

दरअसल 1960 के दशक में अंतरिक्ष में जाने की बड़ी होड़ मची थी कि सबसे पहले अंतरिक्ष में कौन जायेगा, सीधा इंसान को अंतरिक्ष में भेजना संभव नहीं था।

वैज्ञानिकों ने चिंपांजी बन्दर का सहारा लिया जो इंसानों की तरह बुद्धिमान होता है। यह बन्दर खरीदकर लाया गया था इसके साथ और भी बंदर लाये गये थे।

इस मिशन में हैम चिंपाजी के अलावा 40 और चिंपांजी को भी एक्सपेरिमेंट का हिस्सा बनाया गया था। जिसमें से केवल 2 साल का हैम चिंपाजी ही ट्रेनिंग में पास हो पाया था।

नासा के वैज्ञानिकों ने 31 जनवरी 1961 को जब पहली बार वैज्ञानिकों ने किसी बंदर को अंतरिक्ष में भेजा था। जिसे नासा ने इस स्पेस मिशन के लिए नाम दिया सब्जेक्ट नंबर 65 जो बाद में हैम चिंपांजी पड़ा।

सीखने के दौरान जब कभी कोई चिंपांजी गलती करता था तो उसे उसके पैरों पर इलेक्ट्रिक करंट दिए जाते थे और सही काम करने पर उसे बनाना फ्लेवर का कुछ खाने को देते थे ।

जिससे चिंपांजी खुश रहे और सही डिसिप्लिन मैनर में काम करें क्योंकि यह स्पेस मिशन बहुत इंपॉर्टेंट होने वाला था।

31 जनवरी 1961 सब्जेक्ट नम्बर 65 को वॉटरप्रूफ पेंट और स्पेस सूट पहनाया गया इस स्पेस सूट में कई सेंसर लगे थे जिससे उसके दिल की धड़कन सांस और बॉडी टेंपरेचर को मॉनिटर किया जा सके।

फ्लोरिडा के एक सब ऑर्बिटल स्पेस फ्लाइट एमआर-2 में सब्जेक्ट नंबर 65 को उसके कैप्सूल में बैठकर लॉन्च कर दिया गया। 

फाइनली इस एक्सपेरिमेंट के बाद सब्जेक्ट नंबर 65 यानि हैम चिंपांजी का कैप्सूल वापस धरती पर अपने लक्ष्य से 130 किलोमीटर दूर अटलांटिस महासागर में उतरा।

वैज्ञानिकों के अनुसार जब सब्जेक्ट को कैप्सूल से बाहर निकल गया तो वह बहुत डरा हुआ था और उन्होंने उसे इतना डरा हुआ और घबराया हुआ हालत में पहले कभी नहीं देखा था

अंतरिक्ष में जाने के 22 साल बाद 18 जनवरी 1983 को 26 वर्ष की आयु में हैम की मृत्यु हो गई। हैम की मृत्यु के बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष हाल में दफना दिया गया