हैम चिंपांजी के बारे में
नासा ने 31 जनवरी 1961 ये वो समय था जब पहली बार इंसान ने किसी चिंपांजी को अंतरिक्ष में भेजा था। इस चिंपांजी के वजह से ही हमें पता चलने वाला था कि स्पेस में अगर एस्ट्रोनॉट्स को भेजा जाएगा तो उनके शरीर पर क्या असर पड़ेगा क्या एस्ट्रोनॉट्स की बॉडी वैक्यूम स्पेस में सही तरीके से काम कर पाएगी? क्या एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में सरवाइव कर पाएंगे? इन्हीं सब सवालों के जवाब देने वाला था एक चिंपांजी। जिसे नासा ने इस स्पेस मिशन के लिए नाम दिया सब्जेक्ट नंबर 65 जो बाद में हैम चिंपांजी पड़ा।
हैम चिंपांजी का जन्म कब हुआ था?
हैम चिंपांजी 1957 में फ्रांस के कैमरन शहर में सब्जेक्ट नंबर 65 का जन्म हुआ था और फिर उसे मियामी के रेयर बर्ड फॉर्म में भेज दिया गया।
हैम चिंपांजी को कहां ट्रेंनिंग दी गई?
दरअसल एयरफोर्स अपने एक एक्सपेरिमेंट और मिशन के लिए कुछ चिंपांजी को खरीद रही थी और उन्हें चिंपांजी में से एक था, 2 साल का सब्जेक्ट नंबर 65 यानी हैम चिंपांजी। इस मिशन का मेन मकसद था, हैम चिंपांजी को स्पेसक्राफ्ट के लिए एडवांस ट्रेनिंग देकर उन्हें स्पेस में भेजना।
इस मिशन में सब्जेक्ट नंबर 65 के अलावा 40 और चिंपांजी को भी एक्सपेरिमेंट का हिस्सा बनाया गया था। इस एडवांस ट्रेनिंग के दौरान चिंपांजी को लाइट चालू और बंद करना, मशीन से सही लीवर खींचना, यह सब सिखाया गया सीखने के दौरान जब कभी कोई चिंपांजी गलती करता था तो उसे उसके पैरों पर इलेक्ट्रिक शॉक दिए जाते थे और सही काम करने पर उसे बनाना फ्लेवर का कुछ खाने को देते थे । जिससे चिंपांजी खुश रहे और सही डिसिप्लिन मैनर में काम करें क्योंकि यह स्पेस मिशन बहुत इंपॉर्टेंट होने वाला था। इस प्रयोग के दौरान बहुत सारे चिंपांजी मारे गए और बहुत सारे इन टेस्ट को पास ही नहीं कर पाए। उनकी यह संख्या घटते घटते सिर्फ 6 बचे, और उन्हें में से एक था सब्जेक्ट नंबर 65 यानि हैम चिंपांजी ।
सब्जेक्ट नंबर 65 की ऑब्जरवेशन और लर्निंग एबिलिटी इतनी अच्छी थी कि वह डेली दिए जाने वाले नॉर्मल से कार्य को बहुत आसानी से सीख गया था और इसीलिए वह इस मिशन के लिए साइंटिस्टों की पहली पसंद बन गया।
हैम चिंपांजी को स्पेस कब भेजा गया?
हैम चिंपांजी यानि सब्जेक्ट नंबर 65 को उसकी काबिलियत से बढ़कर उसे ट्रेंड किया गया और तैयार किया गया स्पेस मिशन एमआर-2 के लिए। 30 जनवरी 1961 स्पेस में लॉन्च करने के एक दिन पहले सब्जेक्ट नंबर 65 को नासा के वैज्ञानिकों और उसके केयरटेकर ने बहुत प्यार दिया और उसे जो मन करता करने दिया गया क्योंकि वह वापस जिंदा नहीं लौटने वाला था सबके मन में बस यही सवाल था कि क्या सब्जेक्ट नंबर 65 को जो जो सिखाया है वह लॉन्च के बाद स्पेसक्राफ्ट में सही से कर पाएगा? क्या सब्जेक्ट नंबर 65 स्पेस से वापस धरती पर सुरक्षित लौट पाएगा या नहीं? और फिर वह समय आई क्या इसके लिए इस चिंपांजी को एडवांस ट्रेनिंग दी गई थी ।

हैम चिंपांजी स्पेस पर कैसे गया?
31 जनवरी 1961 सब्जेक्ट नम्बर 65 को वॉटरप्रूफ पेंट और स्पेस सूट पहनाया गया इस स्पेस सूट में कई सेंसर लगे थे जिससे उसके दिल की धड़कन सांस और बॉडी टेंपरेचर को मॉनिटर किया जा सके अब सब्जेक्ट नंबर 65 तैयार था इस स्पेस मिशन में जाकर एक इतिहास लिखने के लिए । फ्लोरिडा के एक सब ऑर्बिटल स्पेस फ्लाइट एमआर-2 में सब्जेक्ट नंबर 65 को उसके कैप्सूल में बैठकर लॉन्च कर दिया गया। सब्जेक्ट नंबर 65 लगभग 5800 मील प्रति घंटे की रफ्तार से धरती से 157 मील ऊपर 16ः30 मिनट अंतरिक्ष में रहा और अंतरिक्ष में 6ः30 मिनट का वजन कम होने का अनुभव किया।
हैम चिंपांजी धरती पर कैसे आया?
हैम चिंपांजी ने तीव्र गति जी-फोर्स और भारहीनता के बावजूद इस कैप्सूल के अंदर अपने कार्यों को सही ढंग से किया और फाइनली इस एक्सपेरिमेंट के बाद सब्जेक्ट नंबर 65 यानि हैम चिंपांजी का कैप्सूल वापस धरती पर अपने लक्ष्य से 130 किलोमीटर दूर अटलांटिस महासागर में उतरा। एयरफोर्स के रिकवरी शिप ने कैप्सूल को जब निकाला तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि सब्जेक्ट नंबर 65 अभी भी जिंदा था और सिर्फ उसके नाग पर ही चोट आई थी, लेकिन वह सही सलामत था।
चिंपांजी का नाम हैम कैसे पड़ा?
वैज्ञानिकों के अनुसार जब सब्जेक्ट को कैप्सूल से बाहर निकल गया तो वह बहुत डरा हुआ था और उन्होंने उसे इतना डरा हुआ और घबराया हुआ हालत में पहले कभी नहीं देखा था वह इतना डर चुका था कि बाद में रिपोर्टर्स के लिए फोटो खिंचवाने के लिए भी वह वापस उस कैप्सूल में जाने को तैयार नहीं हो रहा था। इस स्पेस मिशन के बाद चिंपांजी का नाम सब्जेक्ट नंबर 65 से बदलकर हैम (HAM) रख दिया गया है। जिसका मतलब होलोमैन एरोसपेस मेडिकल सेंटर यह वह लैब थी जहां सब्जेक्ट नंबर 65 यानि चिंपांजी को ट्रेंड किया गया था।
हैम चिंपांजी की मृत्यु कब हुई?
इस मिशन की सफलता के बाद साल 1963 में हैम चिंपांजी को द नेशनल जू में ट्रांसफर कर दिया गया था जहां वह 17 साल तक अकेले रहा और अंतरिक्ष में जाने के 22 साल बाद 18 जनवरी 1983 को 26 वर्ष की आयु में हैम की मृत्यु हो गई। हैम की मृत्यु के बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष हाल में दफना दिया गया और फिर उसकी अस्थियों को स्वस्थ और चिकित्सा के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया।
दोस्तों हैम न केवल स्पेस मिशन को सफलतापूर्वक करके वापस धरती पर आया बल्कि अपने कार्यों को सही ढंग से किया। अंतरिक्ष उड़ान की कठोरता और डर का अनुभव करने के बावजूद उसके साथ और वीरता ने फर्स्ट अमेरिकन एस्ट्रोनॉट एलन शेफर्ड जूनियर के लिए स्पेस में जाने की हिम्मत को बढ़ाया दोस्तों चिंपांजी की तुलना में मनुष्य को अक्सर अधिक बुद्धिमान माना जाता है फिर भी इस चुनौती पूर्ण कार्य में एक इंसान के बच्चे के प्रदर्शन के साथ-साथ 2 साल के हैम की कल्पना करना कठिन है। यह हैम के बुद्धिमता और बहादुरी को बयां करता है। जिससे कि विज्ञान और वैज्ञानिक कभी भुला नहीं सकते हैं।