Aditya L1 Mission Launch News in Hindi : हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने चन्द्रयान मिशन लांच किया था जो 14 जुलाई 2023 को ISRO ने आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से किया था। ISRO इस मिशन में चन्द्रमा के दक्षिणी धु्रव पर अपने चन्द्रयान-3 को साफ्ट लैंडिग करेगा। उसके बाद वह चन्द्रमा की लगभग सभी प्रकार की जानकारी वैज्ञानिकों को उपलब्ध करायेगा। अब बारी है सूर्य की जिसकी आज हम बात करेगें। चांद पर कदम बढ़ाने के बाद अब इसरो ने सूचना दी है कि वह अब सूर्य का अध्ययन करने के लिये तैयार है।
ISRO Aditya-L1 Mission Launch date
आने वाले अगले महीने अगस्त या सितम्बर तक ISRO सूरज का अध्ययन करने के लिये Aditya-L1 Mission Launch करेगा। आपको यह जानकर बड़ी हैरानी होगी कि सूरज को ही आदित्य कहते है इसी वजह से भारतीय वैज्ञानिकों ने इस मिशन का नाम ही Aditya-L1 Mission रख दिया है। Aditya-L1 Mission Launch होने के बाद सूर्य से सम्बन्धित लगभग सभी प्रकार की जानकारी पाने की उम्मीद है। सूर्य लगभग 4-5 बिलियन वर्ष पुराना एक तारा है। जो हमारे सौरमण्डल के केन्द्र में स्थित है जो इस सौरमण्डल का मुखिया माना जाता है।
सूर्य में गर्मी कैसे उत्पन्न होती है (surya me garmi kaise hoti hai)
सूरज से जो प्रकाश धरती पर हमें मिलता है वह हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। सूर्य हमें इतनी ज्यादा तपन और गर्मी है कि हम और आप इसका अन्दाजा नहीं लगा सकते हैं। इसलिये इस धधकते हुये सूर्य का अध्ययन करना हमारे लिये जानना आवश्यक हो जाता है कि इसमें इतनी ज्यादा आग व गर्मी आयी कहां से जो खतम ही नहीं हो रही है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य खुद ही अपनी ऊर्जा का एक मुख्य स्त्रोत है। सूर्य के अन्दर नाभकीय संलयन की प्रक्रिया चलती रहती है। जिसके कारण सूर्य धधकता रहता है।
अगर बात किया जाये की अभी तक सूर्य के पास कोई गया है तो जवाब हैं हां, आपको बता दें कि सूर्य के अन्दर छिपे रहस्यों को जानने के लिये अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा द्वारा अंतरिक्ष मिशन लांच किय जा चुके हैं जिनमें से सोहो और पार्ककर सोलर प्रोब मुख्य हैं। नासा के मिशनों ने सूर्य के बारे में कई प्रकार के नये तथ्यों व जानकारियां प्राप्त की हैं। अभी भी तलाश जारी है कि सूर्य में आखिर है क्या क्या।
बात की जाये अगर भारत की तो अब भारत की सूर्य के पास जाने के लिये तैयार है जिसका मिशन है सूर्य में छिपे कई रहस्यों की जानकारी एकजुट करना। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने इस मिशन का नाम आदित्य एल-1 रखा है। सूर्य हर 11 साल में अपनी मैग्नेटिक फील्ड को चेंज करता है। इसी को सोलकर साइकिल कहा जाता है, ये सोलर साइकिल की इस अवधि में सूर्य पर जब बड़े-बड़े डार्क स्पाट का निर्माण होता है उस समय को सोलकर मैक्सीमम कहा जाता है।
सोलर मैक्सीमम के समय में डार्क स्पाट बनने के कारण सूर्य से बड़ी मात्रा में सोलर फ्लेयर, कोरोनल मास इजेक्शन व ऊर्जा का रिसाव अंतरिक्ष में होने लगता है। भारतीय वैज्ञानिकों ने आदित्य मिशन के अंतर्गत सूर्य से होने वाली इसी कोरोनल इजेक्शन के बारे में विस्तार से अध्ययन किया जायेगा।
अदित्य एल-1 मिशन लांच कैसे होगा
Aditya-L1 Mission Launch को LVM-3 Rocket से लांच किया जायेगा। इस मिशन के द्वारा अदित्य एल-1 को लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेज पोइंट के समीप होलो आर्बिट में भेजा जायेगा। Aditya-L1 में कई अच्छे और शानदार उपकरणों को लगाया गया है। जैसे वीईएलसी, सूट, एएसपीईएक्स, पापा, सोलेक्स, हेल10एस और मैग्नेटोमीटर आदि उपकरण शामिल हैं। ये सभी उपकरण सूर्य से पृथ्वी की तरफ आने वाले ऊर्जित कणों का विश्लेषण करेंगे। अदित्य एल-1 यह पता लगायेगा कि यह कण कैसे पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र मं फंस जाते है। Aditya-L1 Mission हर समय सूर्य की इमेंजिंग करेगा। इसके आलावा सूर्य के प्रकाशमण्डल का भी अध्ययन करेगा।