लाइका कुतिया (Laika Dog) कौन थी, जिसकी वैज्ञानिकों की वजह से अंतरिक्ष में हुई मौत?

Laika Dog space mission news in hindi : आज से कुछ सालों पहले 1950 के दशक में दुनिया भर के कई देश, इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिये रॉकेट बनाने में लग गए थे जिसमें अमेरिका और सोवियत यूनियन रूस के बीच तो मानव स्पेस में जाने की जंग ही शुरू हो चुकी थी, क्योंकि इन्हें लगता था कि जो अंतरिक्ष पर विजय पा लेगा वह दुनिया का सबसे ताकतवर देश बन जाएगा। मगर इंसानों को धरती के वातावरण से बाहर भेजना वैज्ञानिकों के लिए काफी चुनौती भरा काम था क्योंकि हमें अंतरिक्ष के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था। इसलिए हमेशा की तरह इंसानों ने अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए बेजुबान जानवरों का सहारा लेने का फैसला किया और अंतरिक्ष मिशन में इंसान जीवित रह पाएगा या नहीं यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने अलग-अलग प्रजातियों के जानवरों को स्पेस में भेजने का निर्णय लिया।

लाइका डॉग कौन थी?  (Laika Dog kaun thi)

साल 1957 जब रूस अपने सोवियत स्पेस प्रोग्राम के चलते अंतरिक्ष में भेजने के लिए स्पेस सैटेलाइट डिजाइन कर रहा था तो वहीं लाइका डॉग (Laika Dog) का रसिया के मास्को शहर की सड़कों पर आवारा कुत्तों की तरह रहती थी उस वक्त लाइका की उम्र 3 साल थी और उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि जीवन का यह साल उसकी पूरी जिंदगी ही पलट कर रख देगा।

वैज्ञानिकों ने निर्णय लिया कि सेटेलाइट में किसी जीवित प्राणी को बिठाकर अंतरिक्ष में भेजा जाये। काफी रिसर्च करने के बाद इस निर्णय पर आए कि एक डॉग को अंतरिक्ष में भेजा जायेगा, क्योंकि एक तो वह हर चीज काफी जल्दी सीख जाते हैं और दूसरा उन्हें बिठाने के लिए स्पेसक्राफ्ट में जगह बहुत कम लगेगी।

जब वैज्ञानिकों ने यह बात प्रशासन के सामने रखी तो रूस के प्रशासन ने इसके लिए हामी भर दी और कहा कि एक महीने के अंदर ही इस मिशन को पूरा करें क्योंकि उस समय अमेरिका और रूस के बीच कोल्ड वॉर चल रहा था जिसके चलते दोनों देश जल्द से जल्द अंतरिक्ष मिशन करके एक दूसरे को नीचा दिखाना चाहते थे। सरकार की यह बात सुनकर रूस के वैज्ञानिकों ने हड़बड़ी में आकर सिर्फ 4 हफ्तों में एक स्पेसक्राफ्ट डिजाइन किया जिसका जुर्माना आगे चलकर बेचारी लाइका डॉग को भुगतना पड़ा।

लाइका डॉग कौन सी स्पेसक्राफ्ट में गयी थी? (Laika Dog kaun se spacecraft me gayi thi)

स्पूतनिक-2  (Sputnik 2 Spacecraft) जिसे खास तौर पर एक कुत्ते के लिए डिजाइन किया गया था इस अंतरिक्ष यान में एक लाइव सपोर्ट सिस्टम लगा हुआ था जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड अब्जॉर्बर, ऑक्सीजन जनरेटर और डॉग के शरीर को ठंडा रखने के लिए एक फैन रखा हुआ था । इसी के साथ इसमें 7 दिन जीवित रहने के लिए थोड़ा खाना और स्टॉल व यूरिन बेस्ड को कलेक्ट करने के लिए एक बैग रखा गया था इस स्पेसक्राफ्ट का केबिन स्पेस इतना काम था कि इसमें इधर-उधर घूमना पड़ा तो उतनी भी जगह नहीं थी।

उस समय सोवियत यूनियन के पास स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजने की तकनीक तो थी लेकिन वापस लाने की तकनीक नहीं थी। इसलिए हम इसे सुसाइड मिशन भी कह सकते हैं क्योंकि जिस लाइका डॉग को अंतरिक्ष में भेजा जा रहा था उसका मरना तो तय था वैज्ञानिक इस बात को अच्छी तरह से जानते थे।

लाइका डॉग को ही क्यों चुना गया? (Laika Dog ko kyao chuna gaya)

जहां एक तरफ वैज्ञानिक स्पेसक्राफ्ट (Sputnik 2 Spacecraft)  को रेडी कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ कुछ वैज्ञानिक इस मिशन के लिए सही डॉग चुन रहे थे और मिशन के लिए उन्होंने एक स्ट्रीट डॉग को चुनने का फैसला किया क्योंकि बचपन से ही इन्हें मुश्किल परिस्थितियों में रहने की आदत होती है इसी खोज में वैज्ञानिकों को मास्को की सड़कों से 3 कुत्ते मिले जिनका नाम उन्होंने अल्बीना, मस्का और लाइका रखा था, फिर इन तीनों डॉग्स को ट्रेनिंग के लिए ले जाया गया।

लाइका डॉग को ट्रेनिंग कैसे दी गई? (Laika Dog ko training kaise de gayi)

वैज्ञानिकों के अनुसार स्पूतनिक-2  (Sputnik 2 Spacecraft) का केबिन बहुत ही ज्यादा छोटा था इसलिए वैज्ञानिकों ने इन तीनों डॉग्स को 20 दिनों के लिए छोटे से केबिन में रखा ताकि जब इस स्पूतनिक-2 की केबिन में बैठे तो घबराकर उछल कूद ना करें, फिर उन्होंने तीनों डॉग्स को सेंट्रीफ्यूज डिवाइस में बिठाकर रॉकेट लॉन्च के एक्सीलरेशन के दौरान उनका कैसा हाल होता है वह टेस्ट किया फिर इन्हें एक ऐसी मशीन में बिठाया जो स्पेसक्राफ्ट जैसी आवाज करती थी इस दौरान उनके पल्स ब्लड प्रेशर को भी मॉनिटर किया जाता था और ट्रेनिंग के अंत में वैज्ञानिकों ने इन तीनों डॉग्स में से लाइका नाम की फीमेल डॉग को स्पूतनिक-2 में बिठाकर अंतरिक्ष में भेजने का निर्णय लिया।

Laika Dog Sputnik 2 Spacecraft space mission news in hindi
Laika Dog Sputnik 2 Spacecraft space mission news in hindi

लाइका डॉग कौन से स्पेसक्राफ्ट से स्पेस पर गई? (Laika Dog kaun se spacecraft se gayi)

अब स्पेसक्राफ्ट (Sputnik 2 Spacecraft) भी रेडी था और लाइका भी अपने मिशन पर जाने के लिए तैयार थी। इस स्पूतनिक-2 को अंतरिक्ष से धरती पर वापस नहीं लाया जा सकता था और दोस्तों वैज्ञानिक के जानते थे कि लाइका डॉग की कुछ दिनों में अंतरिक्ष में उसकी मौत हो जाएगी इसलिए उसके खुराक में एक धीमा जहर भी मिलाया गया था ताकि वह बिना किसी तकलीफ की अपनी जान त्याग सके।

अब मिशन का मुख्य लक्ष्य था कि अंतरिक्ष में मरने से पहले लाइका के शरीर का डाटा इकट्ठा किया जा सके इसके लिए ऑपरेशन के जरिए उसके शरीर में सांस धड़कन और ब्लड प्रेशर मापने वाले सेंसर लगाए गए और अब स्पूतनिक-2  (Sputnik 2 Spacecraft) लांच के लिए बिल्कुल तैयार था।

लाइका डॉग स्पेस पर कब गई? (Laika Dog space par kab gayi)

3 नवंबर 1957 के दिन लाइका डॉग (Laika Dog) के शरीर पर पट्टा बांधकर उसे स्पूतनिक-2 (Sputnik 2 Spacecraft) के चेंबर में बिठाया गया ताकि वह ज्यादा हिल ना सके फिर लाइका के स्पेसक्राफ्ट को आखिरी बार बंद करने से पहले एक टेक्नीशियन ने उसके नाक पर चूमकर अलविदा कहा क्योंकि लाइका को छोड़कर हर कोई जानता था कि वह कभी वापस नहीं आएगी और इसी दिन शाम के 7:22 पर रॉकेट ने उड़ान भरी और वह स्पूतनिक-2  (Sputnik 2 Spacecraft) को अंतरिक्ष में ले जाने लगा।

लाइका डॉग की मृत्यु कब हुई? (Laika Dog ki death kab hui)

स्पूतनिक-2 स्पेसक्राफ्ट (Sputnik 2 Spacecraft) जैसे कुछ दूर ऊपर पहुंचा तो किसी तकनीकी खराबी की वजह से इस स्पेसक्राफ्ट का एक हिस्सा इससे अलग नहीं हो पाया था जिसकी वजह से अंतरिक्ष का तापमान तेजी से बढ़ने लगा और गर्मी से होने वाली घबराहट के कारण लाइका की हार्टबीट 240 तक पहुंच गयी। वह इन हालातों से करीब 5 घण्टे तक लड़ती रही लेकिन तापमान इतना ज्यादा बढ़ गया कि उसकी मौत हो गई।

स्पूतनिक-2 रॉकेट कब धरती पर आया?  (Sputnik 2 Spacecraft rocket dharti par kab aaya)

लाइका डॉग (Laika Dog) की मौत के बाद स्पूतनिक-2 (Sputnik 2 Spacecraft) करीब 162 दिनों तक अंतरिक्ष में चक्कर लगता रहा और उसने लगभग 2570 बार धरती के चक्कर लगाता रहा। इसके बाद 14 अप्रैल 1958 के दिन स्पूतनिक-2 ने जैसे ही धरती के वातावरण में एंट्री ली तो विस्फोट के बाद लाइका डॉग की अवशेषों के साथ टुकड़ों में बट गया । लाइका डॉग की कुर्बानी की वजह से आज हमारा अंतरिक्ष में जाना संभव हो पाया है फिर साल 2008 में रूस की सरकार ने लाइका डॉग के सम्मान में एक मूर्ति बनाई थी।

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