Bennu Ulka Pind आ रहा है धरती को तबाह करने विनाश की तारीख पक्की?

Bennu Ulka Pind पृथ्वी को अगर सबसे बड़ा खतरा किसी चीज़ से है तो वो है उल्कापिण्ड यानी एस्टेरॉयड, एक स्टेरॉएड की टक्कर में धरती से डायनासोरों की पूरी प्रजाति खत्म कर दी थी अब एक उल्कापिंड धरती की तरफ आ रहा है, जिसके टकराने की सटीक तारीख का पता चला है इस टक्कर में 22 परमाणु बमों के बराबर तबाही मचाने की ताकत होगी, जिस उल्कापिंड की बात चल रही है उसका नाम है बेन्नू उल्कापिंड ये वही उल्कापिंड है, जहाँ से नासा का एक यानी मिट्टी और पत्थर का सैंपल लेकर धरती पर आ रहा है।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा को अपने एक मिशन में सफलता मिली है। नासा ने 7 साल पहले एक स्पेसक्राफ्ट में एक एस्टेरॉइड यानी उल्का पिंड पर कैप्सूल भेजा था। अब ये कैप्सूल 24 सितंबर 2023 को एस्टेरॉइड बेन्नू से सैंपल लेकर पृथ्वी पर वापस आ चुकी है। इस मिशन का नाम है उसे ओसाइरिस रेक्स।

लेकिन नासा का यह मिशन क्या था, एस्टेरॉइड से सैंपल क्यों लाया गया, एस्टेरॉइड का अध्ययन क्यों जरूरी है, इससे क्या-क्या हासिल होगा, सब कुछ आपको समझाते हैं।

 

ओसाइरिस रेक्स का फुल फॉर्म है ओरिजिन स्पेक्ट्रेल इंटरप्रिटेशन रिसोर्स आईडेंटिफिकेशन एंड सिक्योरिटी रेगुलेट एक्सप्लोरर, इस मिशन को 8 सितंबर 2016 को लांच किया गया था ताकि ओसाइरिस रेक्स स्पेसक्राफ्ट में एक ऐसी कैप्सूल को भेजा जाए, जो एस्टेरॉइड बीनू की सतह से सैंपल धरती पर ला सके इसके जरिए एस्टेरॉइड बीनू की जानकारी निकाली जाएगी जो कई सालों बाद धरती से टकरा सकता है।

इसके जरिए सूरज और ग्रहों की जानकारियां भी मिल सकती है और यह भी पता चल सकता है, कि यह सब कैसे बने यह अपने आप में पहला मिशन है जिसमें स्पेसक्राफ्ट को एस्टेरॉइड पर भेजा गया और वहां से करोड़ो साल पुराने एस्टेरॉइड बीनू की मिट्टी का सैंपल लाया गया। इसमें कुल 7 साल का समय लगा है। आपको बता दें कि मिशन के अनुसार 60 ग्राम सैंपल लाया जाना था, लेकिन यह कैप्सूल ड्रिलिंग कर ढाई सौ ग्राम सैंपल लेकर आया है।

Asteroid kaise hote hai
Asteroid kaise hote hai

एस्टेरॉयड क्या होते हैं– Asteroid Kya Hote Hai?

सबसे पहले तो यह समझ लीजिए कि एस्टेरॉइड क्या होते हैं एस्टेरॉइड चट्टानों की तरह होते हैं जो बाकी ग्रहों की तरह सूरज की परिक्रमा करते हैं। हालांकि आकार में ग्रहों से छोटे होते हैं और जरूरी नहीं कि इनका आकार ग्रहों की तरह गोल ही हो, इन एस्टेरॉयड की एक बेल्ट मंगल ग्रह और जुपिटर ग्रह के बीच की जगह हमें मौजूद हैं। इसके अलावा जुपिटर प्लेनेट के ऑर्बिट में भी कई एस्टेरॉयड घूम रहे हैं। अगर कोई एस्टेरॉइड किसी प्लेनेट के ऑर्बिट में घूमते हैं। तो उन्हें ट्रोजन कहा जाता है।

2011 में एक ऐसा एस्टेरॉइड पाया गया था जो पृथ्वी के ऑर्बिट में था यानी पृथ्वी के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहा था वहीं अगर कोई एस्टेरॉइड पृथ्वी के ऑर्बिट को क्रॉस करें तो उन एस्टेरॉइड को नियर अर्थ एस्टेरॉइड ने कहा जाता है। ऐसे में 10,000 की संख्या में एस्टेरॉयड है जो पृथ्वी के ऑर्बिट को क्रॉस कर रहे हैं इनमें से 1400 एस्टेरॉयड ऐसे हैं जिनकी पहचान खतरनाक एस्टेरॉइड के रूप में की गई है। इन्हीं में से एक है एस्टेरॉइड बेन्नू।

एस्टेरॉयड बेन्नू क्या है- Asteroid Bennu Kya Hai?

एस्टेरॉइड बेन्नू अमेरिका की एंपायर स्टेट बिल्डिंग से भी बड़ा है और 510 मीटर चौड़ा है बेन्नू पृथ्वी से 20 करोड़ मील दूर है अरबो साल साल पुराना एस्टेरॉइड बेन्नू में अब तक ज्यादा बदलाव नहीं आए यानी जब से यह बना है तब से वैसा ही है। इसीलिए इसके जरिए ग्रह कैसे बने यह पता लगाया जा सकता है।

Bennu ulka pind Asteroid kaisa hai
Bennu ulka pind Asteroid kaisa hai

एस्टेरॉइड बेन्नू कैसा है– Asteroid Bennu Kaisa Hai?

एस्टेरॉइड बेन्नू बी-टाइप एस्टेरॉइड है यानी इस एस्टेरॉइड पर कार्बन की मात्रा बहुत ही ज्यादा है इतनी ज्यादा की सूरज की रोशनी जब इस पर पड़ती है तब यह सूरज की रोशनी को केवल 4 पीसदी ही रिफ्लेक्ट कर पता है जबकि पृथ्वी पर सूरज की रोशनी को 30 फ़ीसदी से ज्यादा रिफ्लेक्शन मिलता है। वैज्ञानिकों के अनुसार एस्टेरॉइड बीनू 4.5 अब साल पुराना हो सकता है। अंदर से यह 20 से 40 फ़ीसदी खोखला है। एस्टेरॉइड बीनू अगर पृथ्वी से टकराता है तो यह धरती का बहुत ज्यादा नुकसान कर सकता है। इसमें 12000 मेगा टन ऊर्जा है यानी न्यूक्लियर हथियार की तुलना में 24 गुना ज्यादा खतरनाक है।

नासा के लिये क्या चुनौती रही?

वैज्ञानिकों के अनुसार यह एस्टेरॉइड 22वीं या 23वीं सदी के दौरान पृथ्वी से टकरा सकता है। अब देखते हैं की नासा के इस मिशन को सफलता कैसे मिली और क्या चुनौती रही। एस्टेरॉइड बीनू से सैंपल लाने के लिए स्पेसक्राफ्ट में भेजी गई कैप्सूल को वापस लाने का अलग तरीका अपनाया गया। दरअसल पृथ्वी पर कैप्सूल को स्पेसक्राफ्ट नहीं लाया। बल्कि स्पेसक्राफ्ट ने ऊपर से कैप्सूल को नीचे धरती पर फेंका है। स्पेसक्राफ्ट ने इस कैप्सूल को नीचे गिराया किया इसे अमेरिका के उटाह रेगिस्तान में सफलतापूर्वक गिराया किया गया। नासा के लिए इसे ड्राप करना ही सबसे बड़ी चुनौती रही। इसे स्पेस से ही गिराया गया है, इसके बाद इस लैब में लाकर इसकी जांच की जा रही है।

एस्टेरॉयड बेन्नू पृथ्वी से कब टकरायेगा- Asteroid Bennu kab takrayega?

एस्टेरॉइड बेन्नू पृथ्वी से कट टकरायेगा ये सवाल आपके मन में जरूर आ रहा होगा तो चलिये जान लेते हैं, एस्टेरॉइड बेन्नू पृथ्वी से 24 सितंबर 2182 को टकराने की संभावना है यानी 159 साल बाद, डेलीस्टार नाम की वेबसाइट की खबर के अनुसार पृथ्वी के विनाश की ये तारीख बताई गई है। लेकिन फिलहाल अभी यह तारीख काफी दूर है। नासा के अलावा देश के कई वैज्ञानिकों ने इस तबाही से बचने की तैयारी शुरू कर दी है।

Please Share:

Related Post